Surya Graha in Jyotish : जानिए सूर्य ग्रह के बारे में विस्तार से

सूर्य सम्पूर्ण जगत के पालक हैं। सूर्य के बिना जगत की कल्पना मात्र भी सम्भव नहीं है। देव ग्रहों की श्रेणी में आने वाले सूर्य (Surya Graha in Jyotish) स्वभाव से क्रूर माने जाते हैं। आत्मा के कारक सूर्य देव की उपासना का प्रचलन भारत में वैदिक कल से ही रहा है। ये पेट, आँख, हड्डियों, हृदय व चेहरे का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य सातवीं दृष्टि से देखते हैं व इनकी दिशा पूर्व है।

सूर्य की महादशा छः वर्ष की होती है। कुंडली के दशम स्थान में सूर्य देवता (Sun Planet ) को दिशा बल मिलता है। चंद्र, मंगल, गुरु सूर्य देव के मित्र व शुक्र तथा शनी शत्रु की श्रेणी में आते हैं । ज्योतिष शास्त्र में मेष लग्न की कुंडली में सूर्य को इष्ट देव माना जाता है। सिंह लग्न की कुंडली के इष्ट देव वृहस्पति देवता होते हैं । कृतिका , उत्तराशाढा व उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सूर्य देव से सम्बन्धित हैं। पिता के कारक सूर्य देवता मेष राशि में उच्च व तुला राशि में नीच के माने जाते हैं।

Surya Graha in Jyotish : जानिए सूर्य ग्रह के बारे में विस्तार से

दिन – रविवार
रंग – लाल
अंक – 1
दिशा – पूर्व
राशिस्वामी – सिंह ( Leo )
नक्षत्र स्वामी – कृतिका, उत्तराशाढा, और उत्तराफाल्गुनी
रत्न – माणिक्य (Ruby)
धातु – सोना (Gold)
देव – शिव (Lord Shiva)
मित्र ग्रह – गुरु, चंद्र और मंगल
शत्रु ग्रह – शुक्र, शनि
उच्च राशि – मेष (Aries)
नीच राशि – तुला (Libra)
मूल त्रिकोण – सिंह (Leo)
महादशा समय – 6 वर्ष
सूर्य का बीज मन्त्र – ‘ॐ हृां हृौं सः सूर्याय नमः
सूर्य का मूल मंत्र – ॐ सूर्याय नम:

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सूर्य ग्रह का जनम कुंडली में अशुभ होना विशेष प्रकार के कष्ट दे सकता है! इनमे से कुछ प्रमुख है जैसे:

  • रक्तचाप का बढ़ जाना।
  • नेत्र सम्बंधी विकार हो जाना।
  • बालों का झड़ना या गंजापन आ जाना।
  • तेज़ ज्वर से पीड़ित होना।
  • हड्डियों सम्बन्धी विकार होना।
  • पिता से सम्बन्ध ख़राब हो जाना।
  • विद्या, धन, यश व मान- सम्मान में कमी आना।
  • माँस मदिरा के सेवन में लिप्त होना।
  • आध्यात्मिक रुचि का क्षीण हो जाना।
  • पुत्र प्राप्ति में बाधा उत्पन्न हो जाना या होने के बाद जीवित ना रहना।
  • लांछन लगना, किसी और के किए का ग़लत परिणाम भुगतना।
  • सरदर्द, बुखार, नेत्र रोग, मधुमेह, मोतीझारा, पित्त रोग, हैज़ा आदि बीमारियाँ हो जाना।

सूर्य ग्रह की शांति के उपाय – Surya Grah Shanti Upay

  • यदि जन्म कुंडली में सूर्य अशुभ हो जायें तो जातक को प्रत्येक सुबह सूर्य देवता को जल अर्पित करना चाहिये।
  • प्रत्येक रविवार का व्रत रखें।
  • नित्य सूर्य पूजन , अर्चना करें।
  • सूर्य देव के आराध्य शिव की पूजा करें।
  • शिव को बिल्व पत्री चढ़ावें।
  • जो जातक सूर्य रत्न ना ख़रीद सकें बिल्वपत्र की जड़ रविवार को हस्त या कृतिका नक्षत्र में लाल धागे से पुरुष दाएँ व स्त्रियाँ बायीं बाजु में बाँधें।
  • जातक को पिता व पिता तुल्य व्यक्तियों का सम्मान करना चाहिए व इनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
  • जहाँ तक सम्भव हो बुज़ुर्गों का अपमान करने से बचें।
  • अपने वज़न के बराबर गेहूँ , लाल वस्त्र , लाल मिठाई , सोने के रबे , कपिला गाये , गुड व ताम्बा किसी ग़रीब ब्राह्मण को दान करें।

शुभ रत्न : – Shubh ratna (Stones) for Surya Graha (Sun Planet )

यदि जातक की कुंडली में सूर्य देव शुभ परंतु कमज़ोर हों तो ऐसी स्थिति में माणिक्य रत्न धारण किया जा सकता है। माणिक्य रत्न चढ़ते पक्ष में रविवार को अनामिका (Ring Finger ) में धारण किया जाता है। इसे सोने , पीतल या ताम्बे की अँगूठी में धारण करना चाहिये। यहाँ उल्लेखनीय है की कुंडली सम्बन्धी कोई भी उपाय करने से पहले किसी योग्य विद्वान से परामर्श अवश्य लें। कौतुहलवश किया गया कोई भी उपाय आपके लिए और बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है।

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