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नौ महीने तक कोख में रहने और असहनीय प्रसव पीड़ा के बाद जब गोद में बच्चे (How to Care Newborn Baby) की किलकारियां गूंजती है तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता। इस खुशी के साथ-साथ मां के लिए जिम्मेवारियां भी बढ़ जाती हैं।
पहली बार मां बनने के समय पता नहीं होता है कि बच्चे की देखभाल कैसे करें। कैसे उसे गोद में लें, कैसे उसे दूध पिलाएं, कैसे उसे नहलाएं या ऐसी ही अनके छोटी-छोटी बातें। ऐसी कई बातें होती है जो माता-पिता को बच्चे के जन्म के बाद पता लगती हैं। जन्म से लेकर पांच साल तक काफी सावधानी और समझदारी रखनी पड़ती है।
एंटी-सेप्टिक सेनिटाइजर करें इस्तेमाल – Use Antiseptic Sanitizer
नवजात को गोद में उठाने से पहले हाथ को एंटी-सेप्टिक सेनेटाइजर (Antiseptic Sanitizer) लिक्विड से अच्छी तरह धो लें ताकि बच्चे को कोई संक्रमण का खतरा न हो। बच्चों की रोग प्रतिरोधी क्षमता उतनी मजबूत नहीं होती है और वो बहुत जल्दी संक्रमण का शिकार हो जाते हैं।
नवजात (Newborn) को गोद में उठाते समय बरतें खास एहतियात
- कोमल और नाजुक बच्चे को गोद में उठाने से पहले डर लगता है कि कहीं कुछ गड़बड़ी न हो जाए । ऐसे में डरे नहीं। बल्कि आराम से बच्चे को गोद में उठाएं और उसे लाड़-प्यार करें।
- बच्चे को उठाते समय उसके सिर और गर्दन (Neck) को ठीक से पकड़े जिस से उसको सपोर्ट मिले। एक हाथ सिर और गर्दन के नीचे और एक हाथ पैर के नीचे रखें और फिर पालने के झूले की तरह बच्चे को सपोर्ट दें।
- बच्चे को यह महसूस होना चाहिए कि वो झूले पर झूल रहा है। बच्चे को पालने की तरह हल्का ऊपर और नीचे झुलाएं। ध्यान रहे नवजात को ज्यादा ऊपर या नीचे ना झुलाएं। यह खतरनाक हो सकता है। ना ही बच्चे का सिर ज्यादा हिलाएं।
- नवजात (Navjat – Newborn) को कभी भी जोर से झकझोरें या हिलाए नहीं, चाहे उससे खेल में ठिठोली कर रहे हों या गुस्से में ही क्यों न हो। इससे बच्चे के सिर में खून रिसने लगेगा और मौत भी हो सकती है। कभी भी नवजात को सोते समय झकझोड़ कर नहीं उठाए।
नर्म-गर्म कपड़े में लपेटकर ही रखें
बच्चे के जन्म के बाद बच्चे को मां का दूध सही तरीके से और पर्याप्त मात्रा में कैसे मिले, उसके पहनने के कपडे कैसे हो, उसका बार बार रोना, बार-बार नेपी गन्दा करना आदि बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है। इन बातों का अनुभव नहीं होने पर बहुत परेशानी हो सकती है।
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नवजात को नर्म और गर्म कपड़े में लपेट कर रखें। इससे बच्चा काफी सुरक्षित महसूस करता है। 0-2 महीने तक शिशु को जरुर लपेटकर रखें। इससे बच्चे को वातावरण के बदलाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता है।
नवजात शिशु की देखभाल करने का तरीका – Care Newborn Baby
नवजात शिशु (Navjat shishu – Newborn baby) की देखभाल का सबसे पहला और जरुरी हिस्सा है कि उसे जन्म के तुरंत बाद बच्चों के डॉक्टर को दिखा कर निश्चित कर लेना चाहिए कि बच्चा बिल्कुल ठीक है। विशेष कर जब बच्चा पेशाब ना करे, बच्चा बिल्कुल ना रोये, बच्चा बहुत अधिक वजन का हो,या बहुत कम वजन का हो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके उसे सूचित करना चाहिए। बच्चे की स्किन पीली दिखाई दे तो पीलिया होने की सम्भावना होती है। ऐसे में बच्चे को डॉक्टर की सलाह से हल्की धूप दिखाएँ।
जानें कैसे कराएं बोतल से फीडिंग – Bottle feeding newborn
शिशु (Baby) को स्तनपान कराना है या पाउडर के दूध से बोतल फीडिंग करानी है, यह आपका निजी फैसला है। हालांकि जन्म के छह महीने तक बच्चे को मां का दूध ही पिलाना चाहिए। नवजात शिशु (Newborn Baby) के लिए दूध पाउडर का उपयोग करने से पहले यह ध्यान रहे कि इसकी एक खास मात्रा होती है और इसे कैसे बनाना है। दूध के डिब्बे पर निर्देश पढऩे के बाद ही शुरू करें।
बोतल फीडिंग से पहले इन बातों का रखें ख्याल
- बोतल को उबले पानी से धोएं। उबले पानी से साफ नहीं की गई बोतल या गलत मात्रा में दूध का पाउडर मिलाने से बच्चा बीमार हो सकता है।
- हर तीन घंटे पर शिशु को बोतल फीडिंग (Feeding) कराएं या जब भूख लगे तब। भूल कर भी बोतल में बचे दूध को फ्रिज में न रखें और उसी दूध को दोबारा न पिलाएं। हर बार ताजा बना दूध ही पिलाएं।