Benefits of Gomutra : अमृत से कम नहीं गौमूत्र, दूर करे बड़े-बड़े रोग

भारतीय समाज में गाय का स्थान देवतुल्य माना गया है। हिंदुओं में गाय (Benefits of Gomutra) को सिर्फ एक दुधारू पशु नहीं बल्कि माता का दर्जा दिया गया है। गाय के गोबर और मूत्र यानी गौमूत्र(Gomutra) को भी पवित्रता की दृष्टि से देखा गया है।

हिंदुओं के उच्च कोटि के ग्रंथ आयुर्वेद में हजारों साल पहले ही गौमूत्र के प्रयोग से दवाइयां तक तैयार करने की अनेकों विधियां लिखी गई हैं। आज के आधुनिक जीवन में जहां अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं मौजूद हैं, भले ही गौमूत्र का नाम सुनकर लोग नाक-भौं सिकुडऩे लगते हैं लेकिन वे नहीं जानते कि गौमूत्र के नियमित सेवन से बड़े-बड़े रोग तक दूर हो जाते हैं।

कसैला कडक़ गौमूत्र बेहद लाभकारी

गाय का मूत्र(Gomutra) स्वाद में गर्म, कसैला और कडक़ होता है जिसमें विषनाशक, जीवाणुनाशक, शक्तिपूर्ण और जल्द पचने वाला है। इसकी रासायनिक संरचना की बता करें तो गौमूत्र में नाइट्रोजन, कॉपर, फॉस्फेट, यूरिक एसिड, पोटैशियम, यूरिक एसिड, क्लोलराइड और सोडियम पाया जाता है। इन तत्वों की उपलब्धता के अनुसार बीमारियां दूर करने के लिए इसे इस्तेमाल किया जाता है।

औषधि के समान है माना गया है गौमूत्र

आयुर्वेद में गौमूत्र(Gomutra) से 108 से अधिक रोग ठीक होने की बात कही गई है। दावा किया गया है कि गर्भवती गाय का मूत्र (Benefits of Gomutra) सबसे अच्छा होता है। तर्क यह कि इसमें विशेष हार्मोन और खनिज पाए जाते हैं। गौमूत्र एक दर्द निवारक, पेट के रोग, चर्म रोग, श्वास रोग, आंत्रशोथ, पीलिया, मुख रोग, नेत्र रोग, अतिसार, मूत्राघात, कृमि रोग के उपचार में उपयोगी है।

यहां तक कि गौमूत्र के इस्तेमाल से दिल की बीमारी, मिर्गी, मधुमेह, कैंसर, टीबी, एड्स और माइग्रेन को ठीक किया जा सकता है। गाय से प्राप्त दूध, दही, मठ्ठा खाने के साथ गौमूत्र का इस्तेमाल कर स्वास्थ्य लाभ पाइए।

किस गाय का गौमूत्र पीने से करना चाहिए परहेज

हिंदू ग्रंथों के अनुसार बूढ़ी, अस्वस्थ और गाभिन गाय का मूत्र नहीं पीना चाहिए। गौमूत्र(Gomutra) को कांच या मिट्टी के बर्तन में लेकर स्वच्छ सूती कपड़े के सात तहों से छानकर कप का चौथा हिस्सा खाली पेट पीना अहुत उपायोगी माना गया है।

नियमित सेवन दूर करे खून की कमी

अगर गाय के मूत्र को त्रिफला और गाय का दूध एक साथ मिक्स कर पीया जाए तो शरीर में खून की कमी दूर होती है। साथ ही खून साफ होता है और एनीमिया दूर होता है।

कीटाणुओं का नाश करे

गौमूत्र(Gomutra) शरीर में घुसे कई किस्म। के कीटाणुओं का खात्मा् करता है। आयुर्वेद अनुसार शरीर में तीनों दोषों की गड़बड़ी की वजह से बीमारियां फैलती हैं, लेकिन गौमूत्र पीने से बीमारियां दूर हो जाती हैं।

जिगर बनाए मजबूत, दिमाग से मिटाए तनाव

गौमूत्र पीने से जिगर बेहतर काम करता है जिससे रक्त शुद्ध होता है और शरीर में शुद्ध रक्त पहुंचता है जिससं बीमारियां दूर होती हैं। दूसरी ओर मौजूदा भागदौड़ भरी जिंदगी में दिमागी टेंशन की वजह से नर्वस सिस्टप पर बुरा असर पड़ रहा है।

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ऐसे में गौमूत्र पीने से दिमाग और दिल दोनों को ही ताकत मिलती है। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने गौमूत्र(Gomutra) पीकर स्वस्थ्य जीवन का लाभ उठाया और उन्हें किसी भी तरह की बीमारी ने नहीं घेरा।

पापों को नष्ट कर बीमारियां करे ठीक

हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि मानव शरीर को कई तरह के रोग पिछले जन्म में किए बुरे कर्म की देन हैं। हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि गौमूत्र में गंगा जी वास करती हैं जिसके पीने से पापों तो नष्ट होते ही हैं और साथ में बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं।

जोड़ों का दर्द दूर करे Benefits of Gomutra

अगर आपके जोड़ों, घुटनों आदि में दर्द है तो दर्द वाली जगह को गौमूत्र(Gomutra) से सेंकने से बहुत जल्द आराम मिलता है। सर्दियों में गौमूत्र को सोंठ के साथ पाने से भी दर्द से लाभ मिलेगा।

पेट की गैस दूर कर हाजमा ठीक करे

सुबह आधे कप पानी में गौमूत्र के साथ नमक और नींबू का रस मिला कर पीना बहुत लाभकारी है। इससे पेट में गैस नहीं बनती और हाजमा भी ठीक रहता है।

मोटापा कम करने में उपायोगी

चार बूंद गौमूत्र के साथ दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिला कर एक गिलास पानी में रोजाना पीने से लाभ मिलता है। इससे शरीर में चर्बी नहीं बनेगी।

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए

गौमूत्र को नियमित तौर पर पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे शरीर को कोई भी बीमारी जल्दी नहीं लगती।

कीटनाशक का भी काम करे

गौमुत्र(Gomutra) को लगभग पूरे भारत वर्ष में कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। देसी गाय के गौमूत्र को पानी में मिला कर प्रयोग करें। यह भारत का सदियों पुराना या कहें प्राचीनतम कीटनाशक है।

ये एहतियात भी जरूर बरतें

गोमूत्र(Gomutra) सामान्य तापमान पर ही रखना चाहिए। गोमूत्र की प्रकृति या तासीर कुछ गर्म होती है, ऐसे मेें गर्मियों में इसकी मात्रा कम लेनी चाहिए। वहीं छोटे बच्चों और गर्भवती स्त्रियों को गौमूत्र विशेषज्ञ वैद्य की सलाह के अनुसार ही दें। गौमूत्र को मिट्टी, कांच या स्टील के बर्तन में ही रखें।

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